जयपुर की जल कहानी: इसरदा बांध तैयार, फिर भी हज़ारों गाँवों का पानी बह रहा बनास में!

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नमस्ते दोस्तों!

आज सुबह की ख़बरों में जयपुर से एक ऐसी बात सामने आई है, जो सोचने पर मजबूर करती है. एक तरफ़ तो बीसलपुर बांध पानी से लबालब भरा है, और ये हम सबके लिए खुशी की बात है. लेकिन, दूसरी तरफ़, हमारे एक और बड़े प्रोजेक्ट – इसरदा बांध को लेकर जो जानकारी मिली है, वो थोड़ी चिंताजनक है.

इसरदा बांध: तैयार होकर भी क्यों अधूरा?

सोचिए, 1038 करोड़ रुपये की लागत से बना इसरदा बांध का पहला फ़ेज़ (Phase-I) पूरी तरह से तैयार है. इसकी क्षमता 253 मिलियन क्यूबिक मीटर है और इसे जयपुर समेत कई इलाकों की प्यास बुझाने के लिए बनाया गया था. लेकिन दोस्तों, ख़बर ये है कि बांध के 28 में से 26 गेट खुले हुए हैं, और इसका पानी सीधा बनास नदी में बह रहा है!

जी हाँ, ये वही पानी है, जो 7 शहरों और 1256 गाँवों की प्यास बुझाने वाला था!

ये कैसा विरोधाभास?

यह सुनकर हैरानी होती है कि एक तरफ़ हज़ारों गाँवों और शहरों को पानी का इंतज़ार है, वहीं दूसरी तरफ़ लाखों लीटर पानी बस बहता जा रहा है. अधिकारियों का कहना है कि बांध भर गया है इसलिए पानी छोड़ा जा रहा है. लेकिन अगर इसे शहरों और गाँवों तक पहुँचाने की व्यवस्थाएं पूरी नहीं हैं, तो फिर इतना बड़ा प्रोजेक्ट किसलिए?

इसरदा बांध का सपना और हकीकत

इसरदा बांध का निर्माण जयपुर और दौसा, सवाई माधोपुर जैसे ज़िलों में पानी की किल्लत दूर करने के लिए किया गया था.

  • पहला फ़ेज़ (Phase-I): लगभग 1038 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. इससे 3.27 लाख हेक्टेयर में सिंचाई और 256 गाँवों को लाभ मिलना था.

  • दूसरा फ़ेज़ (Phase-II): इसरदा बांध से दौसा और सवाई माधोपुर तक पानी पहुँचाने के लिए 262 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन बिछाने का काम चल रहा है. ये प्रोजेक्ट 2018 में शुरू हुआ था.

जब ये दोनों फ़ेज़ पूरे हो जाएँगे, तब दौसा और सवाई माधोपुर ज़िलों के 1256 गाँवों और 7 शहरों को इस बांध से पानी मिलेगा.

आगे क्या? उम्मीद या इंतज़ार?

सवाल यह है कि जब बांध का पहला फ़ेज़ तैयार है, तो क्यों इसे पूरी क्षमता से इस्तेमाल नहीं किया जा रहा? क्या पाइपलाइन का काम इतना धीमा है कि पानी को रोक कर रखना मुश्किल है? उम्मीद है कि सरकार इस मामले पर तुरंत ध्यान देगी और सुनिश्चित करेगी कि जिस पानी पर इन शहरों और गाँवों का हक है, वो सही जगह तक पहुँचे.

यह सिर्फ़ एक बांध का मामला नहीं, बल्कि हज़ारों लोगों के जीवन और उनकी प्यास का सवाल है. आइए उम्मीद करें कि जल्द ही इसरदा बांध का पानी सही मायने में 'जीवनदायिनी' बनेगा.

आपको क्या लगता है, ऐसी स्थिति क्यों बन रही है? अपनी राय कमेंट्स में ज़रूर बताएं!

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